भविष्यवाणी 89


रुआख हा कोडेश के रहस्य

पवित्र आत्मा के रहस्य

पवित्र आत्मा (रुआख हा कोडेश) के अभिषेक के सामर्थ्य से बोला/लिखा गया

प्रेरित, भविष्यवक्ता एलीशेबा एलियाहू के माध्यम से जनवरी 27, 2007 बिल्कुल संध्या पाँच बजे, सबथ के दिन – पोर्ट अल्फ्रेड, दक्षिण अफ्रीका

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एलीशेबा का बयान: चेतावनी! यह अब तक का मुझे दिया गया सबसे विवादात्मक भविष्यवाणी है। इसमें मुझे दिए गए कुछ व्यक्तिगत दर्शन हैं इसलिए इस भविष्यवाणी में कुछ जगहों पर मेरा नाम भी लिया गया है। पर मैं इस स्वर्गीय संदेश को किसी भी तरह बदलना नहीं चाहती।

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नीचे भविष्यवाणी दी गयी है।

-- जो भविष्यवक्ता एलिशेबा “पवित्र अन्य भाषा” में बोल रही है जैसे परमेश्वर की आत्मा उसे शब्द दे रहे हैं (प्रेरितों २:३-४) स्वर्गदूतों और मनुष्यों के भाषाओं में (१ कुरिंथियों १३:१)। एलिशेबा अन्य भाषा में बोलकर भविष्यवाणी को उजागर कर रही है (१ कुरिंथियों १४:६)।

यहाँ परमेश्वर के येहूदी नामों का जिक्र किया गया है:

जैसे आल्लेलूइया (Alleluia) अथवा हालेलुयाह: (HalleluYAH) הללו–יה का मतलब “याह: की जय” है। याह: अथवा याहु (YAH/ YAHU יה) परमेश्वर का पवित्र नाम है। याहुवे या याहवे: (YAHUVEH or YAHWEH י-ה-ו-ה ), पिता परमेश्वर; याहुशुआ (येशु मसीह) (YAHUSHUA יהושוע), पिता परमेश्वर से उत्पन्न इकलौता पुत्र; हामशीहाख़ (HaMashiach המשיח) का मतलब मशीहा है; एलोहिम (ELOHIM אלוהים) का मतलब परमेश्वर है; यह प्रकाशित सत्या की शेकिनयाह महिमा (SH’KHINYAH GLORY שכניה תפארה) ही रुआख़ हा कोडेश (पवित्र आत्मा) (RUACH HA KODESH רוח הקדש) का व्यक्तिगत नाम है, भी आपको इस वैबसाइट में मिलेगा। हा शेकिनयाह (शेकिनाह) (HA SH’KHINAH שכינה {SHEKINAH}) येहूदी में परमेश्वर के दिव्य उपस्थिती और महिमा को कहा जाता है। उसके उपरांत, अब्बा याह (ABBA YAH אבא יה) का मतलब “पिता याह” है और इम्मायाह (IMMA YAH אמא יה) का मतलब “माता याह” है। येहूदी में परमेश्वर के आत्मा को स्त्रीलिंग माना जाता है और उसी तरह इस वैबसाइट के सारे भविष्यवाणियों और वचनों में आपको वे मिलेंगे।

पवित्र शस्त्रों का उदाहरण KJV और NKJV दिया गया है अगर अन्यथा नहीं है तो।

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पिता याहुवे का एलीशेबा को दिया गया वचन, भविष्यवाणियों से पहले बोलने के लिए:

एलिशेबा मैंने तुझे बहुत पहले ही, जब यह मिनिस्ट्री बना भी न था, बता दिया था की इस मिनिस्ट्री को किसी पुरुष या स्त्री के नाम से नहीं बुलाया जायेगा| मैंने तेरी आत्मा में यह डाल दिया था क्योंकि यह सब कुछ न तो तेरे हाथों से न ही तेरे शब्दों से बना है। बल्कि यह याहुवे (याहवे:) के मुँह से जन्मा है। यह मिनिस्ट्री याहुशुआ (येशु मसीह), तुम्हारे मसीहा के मुँह से जन्मा है। यह मिनिस्ट्री रुआक हा कोडेश (पवित्र आत्मा) जो तुम्हारी ईमायाह (स्वर्गीय माता) है, के मुँह से जन्मा है। अगर यह तेरे मुँह से निकला होता तो कब का विफल हो जाता। यह मिनिस्ट्री शेकिनयाह महिमा (SH’KHINYAH GLORY) की वह हवा जो पूरे विश्व में बहती है, वह पुनर्जीवित करनेवाली पवित्र हवा, से उत्पन्न हुआ है। यह तेरे सासों से नहीं जन्मा अथवा विफल हो जाता। (यशायाह ४२:८)

(भविष्यवाणी 105)

जुलाई २०१० में याहुवे परमेश्वर ने यह निम्नलिखित जोड़ने को कहा उनके लिए जो मजाक उड़ाते हैं:

२ इतिहास ३६:१६ — परन्तु वे परमेश्वर के दूतों को मज़ाक में लेते, उनके वचन को तुच्छ जानते, और उनके नबियों की हंसी उड़ाते थे। अत: याहुवे अपनी प्रजा पर ऐसे क्रोधित हुए कि बचने का कोई उपाय न रहा।

फिर जुलाई 2016 में:

उस पर हाय है जो इन दो अभिषेकितों को हानि पहुंचाने की कोशिश करेगा। तू उस दिन को कोसेगा जब तूने जन्म लिया। मेरे अभिषेकितों को न छूना और न ही इन्हें कोई हानि पहुँचाना (भजन संहिता 105:15; 1 इतिहास 16:22)। तेरे लिए इससे बेहतर यह होगा की मैं, पिता याहुवे, तेरी जुबान को ही उखाड़ डालूँ।

(भविष्यवाणी 128)

और भविष्यवक्ता एजरा से:

मैं उन सब को चेतावनी देता हूँ जो इस मिनिस्ट्री, यह पवित्र भविष्यवाणियों, एलिशेबा और मेरे, और अमाइटिविंड मिनिस्ट्री (AmightyWind Ministry) के विरुद्ध आता है| मैं तुझे चेतावनी देता हूँ, “उन्हें मत हाथ लगा जो याहुवे के अभिषेकित हैं और उनके भविष्यवक्ताओं पे जुर्म न कर” (भजन संहिता १०५:१५) (१ इतिहास १६:२२) कही तुझपर याह की क्रोध की लाठी ना बरस पड़े। परंतु वे जो इस मिनिस्ट्री से आशीषित हैं और इस मिनिस्ट्री को आशीषित और सहायता करते हैं, और वफादार है, और वे जो इस भविष्यवाणियों को ग्रहण करते हैं, उनपर बहुत आशीष रहेगी — ताकि वे सब सुरक्षित रहें जो याह के हैं, याहुशुआ के नाम में।

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भविष्यवाणी 89 के पीछे की कहानी

सितंबर 2008 में लिखी हुई चिट्ठी

इस भविष्यवाणी के आने से पहले, Amightywind मिनिस्ट्री की दूसरी महिला और मैं हम अपने पसंदीदा विषय, याहुवे, याहुशुआ, और रुआख हा कोडेश पर बात कर रहे थे! और मैंने एक सवाल उठाया, “क्या रुआख हा कोडेश (पवित्र आत्मा) एक स्त्री हो सकती है?”

मेरा यह मानना था, “क्यों रुआख हा कोडेश स्त्री नहीं हो सकती? पवित्र शस्त्र कहता है की मानवता याहुवे परमेश्वर के स्वरूप में बना है, पुरुष और स्त्री (उत्तपती 1:27)। तो क्या यह तर्क संगत नहीं है की स्त्री जाती उनकी (रुआख हा कोडेश) स्वरूप में बनी हो?” हमने कुछ देर तक इस विषय पर बात कि।

इसके कुछ देर बाद Kathrinyah ने इममायाह की आवाज सुनी और उसने उसे शब्दों में लिखा. वह इतना सुंदर, प्यार भरा और इतना अलग था पिता याहुवे या याहुशुआ से, जैसे माँ की ममता और मिठास अलग होती है पिता से। मैंने प्रिय रुआख हा कोडेश को पूछा क्या वे मुझे कुछ वचन देंगे क्योंकि उनकी आवाज सुनने को मैं बेचैन थी। उन्होंने मेरी प्रार्थना को सुना और फिर यह अत्यंत सुंदर अगमवाणी दी जो आप इस पुस्तक में पड़ेंगे।

जब मैं उस समय को याद करती हूँ तो मुझे यकीन होता है की वह इम्मायाह, हमारी पवित्र माँ ही थी जिन्होंने मेरे रूह में यह डाला की मैं वह प्रश्न करूँ, ताकि वह द्वार खुले जब वह अपने ही दिव्य तरीके से, जिसका कोई बराबरी नहीं कर सकता, मेरे प्रश्न का जवाब दें!

कृपया करके इस संदेश वाहक पर पत्थर न मारें। जैसे की पवित्र वचन आमोस 3:7 में कहता है, “याहुवे परमेश्वर अपने अगमवक्ताओं के साथ अपने राज बांटते हैं”। शास्त्रों में पवित्र आत्मा (यहूदी में रुआख हा कोडेश) के स्त्री होने के बहुत सबूत हैं।

मैं यह चाहती हूँ की आप, इसको पड़ने वाले, इन प्रकाशित वचनों से आशीषीत हों जो हमारी पवित्र माता, इम्मायाह ने मुझे दिया है।

एलिजाबेथ शेरी एलीजा

(एलीशेबा एलियाहू)

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यह अगमवाणी टेप में रिकार्ड किया गया था, दुर्भाग्य से उसकी अडिओ बहुत खराब स्तर की थी इसलिए वह हम यहाँ डाल नहीं पाये, पर उसकी प्रतिलिपि यहाँ है।

{एलीशेबा प्रार्थना करते हुए}: हम सब आपको जानना चाहते हैं, माँ रुआख। इंसान आपको एक पुरुष संज्ञा देता हैं क्योंकि उसने कभी आपको श्रेय नहीं दिया। पवित्र, पवित्र, पवित्र, पवित्र.. हम आपको आवाज दे रहें हैं, माँ रुआख हा कोडेश। क्या आप खुद का परिचय नहीं देंगी मुझे? क्या आप हम सबको खुद से परिचय नहीं कराएंगी? कैथी (Kathrynyah) के पास वह सुंदर शब्द हैं जो मुझे पता हैं आप उसके द्वारा लिख रही हैं एक अलग ही शैली में। आप कितनी सौम्य हैं। आप वह सब कुछ हैं जो एक औरत को होना चाहिए। एक औरत होने के नाते मेरी यह इच्छा है की मैं और ज्यादा आप के जैसी बनूँ। आप स्त्रीत्व की परिभाषा हैं। यहाँ तक की अब्बा याहुवे और याहुशुआ चेतवानी देते हैं, की “आपको कोई हानि न पहुंचाए”।

भविष्यवाणी 89 आरंभ हुआ:

जनवरी 27, 2007

रुको, रुको, रुको..

अभी वह समय नहीं आया प्रकाशित करने का, जिस तरह तुमने मुझे प्रकाशित करने को कहा है।

पर मैं करूंगी। और तुम यह सिख दोगी। और हर झूठ से लड़ा जाएगा।

वह मैं थी जिसने (तुम्हें) यह प्रार्थना करने की इच्छा दी।

वह मैं थी जिसने (तुम्हें) “मैं कौन हूँ” जानने की इच्छा दी।

वह मैं ही थी जिसके कंधे पर स्वर्गलोक में तुमने अपना सर रखा था।

मैंने तुम्हें एक झलक दिखाया की मैं उनसे कितना प्यार करती हूँ जो याहुशुआ से प्रेम करते हैं।

मैं सृष्टि की जननी हूँ। स्त्रीयां मेरी ही स्वरूप में बने हैं।

मेरी कोई उम्र नहीं है, मैं सह-सृष्टिकरता हूँ।

एक (सांसारिक) परिवार स्वर्ग लोक में उपस्थित परिवार का ही प्रतीक है। तुम्हें क्या लगता है वह कहा से आया? एक माँ? एक पिता? और बच्चें? इसका मतलब यह नहीं की जन्म की प्रक्रिया स्वर्ग और धरती में समान है। लक्ष्य भी नहीं था की ऐसा हो (धरती में जन्म की प्रक्रिया जैसी है)। वह तो आदम और हवा के पाप के कारण वह एक दर्दनाक प्रक्रिया हुआ।

स्वर्ग लोक में कोई कलह नहीं है। स्वर्ग लोग में कोई पीड़ा नहीं है। वहाँ केवल प्रेम, शांति और आनंद है। केवल खुशियां हैं।

[एलीशेबा]: और क्या MOMMA? इसके अलावा आप मुझे और क्या बताना चाहती हैं?

एलिजाबेथ [एलीशेबा],

तू हमेशा माँ के प्यार के लिए तरशी है—जब से तेरा गर्व धरण हुआ, तूने अपनी माँ की कोख में से भी कराह कर मुझे बुलाया है!

इसलिए आज मैं तुझे भर रही हूँ, जैसे की मैं करती हूँ, एक ऐसे अभिषेक से, ताकि वह खालीपन तू फिर से कभी भी महसूस ना करे।

[और बहुत सारे अन्य लोगों के लिए]:

तुम ध्यान पाने के लिए तराशते रहे। तुम्हारे सांसारिक माँ ने उस रूह के साथ जिससे वह चल रही थी उत्तम कोशिश किया। पर तुम्हें भी मैं अपने प्रेम से भरती हूँ। एलीशेबा, जब तू धीरे-धीरे डौलते हुए प्रार्थना करती है, वह मैं हूँ जो तुझे डौलाती हूँ। मैं कौन हूँ यह जानने की कोशिश करते रह। मैं खुद को और भी प्रकाशित करूंगी। मैं तुझे याद दिलाऊँगी उस एहसास का जब स्वर्गलोक में तुझे मेरे चेहरे का दर्शन पाकर अनुभव हुआ।

क्योंकि मैं स्वर्गीय पिता के पास ही बैठती हूँ—याहुवे मेरे पति हैं।

याहुशुआ मेरा पुत्र है। केवल एक सिंहासन नहीं, स्वर्गलोक में तीन सिंहसानें हैं; हम एक साथ शासन करते हैं। तुम्हें क्या लगता है तुम्हारी प्रार्थनाएं याहुवे के कानों तक कैसे पहुंचते हैं? वह मैं हूँ जो उन्हें उन तक पहुंचाती हूँ? क्योंकि मैं विश्वासियों के अंदर हूँ, जो मेरे पुत्र याहुशुआ से प्रेम करते हैं। वह मैं हूँ, वह अभिषेकित हवा जो उन्हें (प्रार्थनाओं को) उनकी ओर भेजती है जब मैं स्वर्ग की ओर एक प्रेम भरी चुंबन उड़ाती हूँ। मैं प्रतीकों में बात कर रही हूँ ताकि तुम समझ सको। जब तुम अपने प्रार्थनाओं को उठाते हो, वह अब्बा पिता याहुवे की ओर चुंबन उड़ाना जैसा है, जब तुम मेरे पुत्र के नाम में प्रार्थना करते हो। क्योंकि तुम्हारी प्रार्थना को सुनने और उसकी सफलता में हम तीनों की आवश्यकता है।

यह केवल सिखों का आरंभ है। यह केवल उनके लिए है जिन्हें में तुम्हें बताने को कहती हूँ। निश्चित तौर पर तुम इस सिख को इस पूरे परिवार के साथ बाँटोगी। पर मैं तुम्हें बहुत सावधानी से चलने को कहूँगी जैसे पहले किसी भी बोले गए वचन के लिए नहीं कहा था। क्योंकि यह ऐसा राज है जो शैतान कभी नहीं चाहता था की बाहर आए। और वह तुम्हारे साथ ऐसे लड़ेगा जैसे पहले कभी भी तुमने ऐसी लड़ाई अनुभव नहीं की होगी। इसलिए वह समय नहीं आया की इस वचन को दुनिया के सामने रखा जाए। मैं तुम्हें ऐसी बातें बताऊँगी जो किसी पुरुष या स्त्री ने कभी न सुनी हो…

तुम्हें क्या लगता है लुसिफ़र ने सबसे पहले हवा को क्यू प्रलोभन दिया? वह मेरा मजाक उड़ाना चाहता था। क्योंकि हवा मेरी प्रतिरूप में बनाई गई थी; जैसे आदम याहुवे के प्रतिरूप में बनाया गया था; जैसे आबेल याहुशुआ के प्रतिरूप में बनाया गया था---पवित्र, प्रेम की परिभाषा: क्योंकि वह शैतान का ही हाथ था जिसने कैन के हाथों आबेल का कत्ल करवाया। जैसे की कैन के हाथों को वश में करने वाला वह रूह था, शैतान ने फिर उसी रूह से मेरे पुत्र याहुशुआ को शूली पर चड़ाया, हालांकि ऐसा होना हमारे ही योजना का भाग था—ताकि तुम जिनके नाम मेमने की जीवंत पुस्तक में लिखा है वापिस स्वर्ग जा सको।

और कोई उपाय नहीं था। इसलिए उस दिन नए रक्त के प्रतिज्ञा का जन्म हुआ जो खंडित हुए पुराने प्रतिज्ञा के स्थान में आया था। तुम जानना चाहती हो एक कारण जिससे मैं दुखित होती हूँ? तुम जानना चाहती हो वह एक बात जिससे मेरा अपमान होता है? एलीशेबा, जब तुम मेरे क्रोध को महसूस करती हो---वे पिता के क्रोध का जिक्र करते हैं, अब्बा याहुवे के क्रोध का—पर उन्हें कोई अनुमान नहीं इस सृष्टि की जननी के क्रोध का! तुम्हारे (एलीशेबा) अंदर मेरे क्रोध का कुछ छटांक है—जब तुम महसूस करती हो उस ज्वालामुखी का जो तुम्हारे सर के अंदर जैसे फटने वाला होता है, धार्मिकता के कामों के लिए—वह मेरे क्रोध का बस छटांक भाग ही है!

जब तुम अनुवादित पवित्र वचन में पड़ते हो जिसमें वह मेरे पुत्र, याहुशुआ को “मनुष्य का पुत्र” लिखने का दुस्साहस करते हैं—वह कभी मनुष्य का पुत्र नहीं था! वे याहुवे के पुत्र हैं! याह के पुत्र! जब भी तुम उस अनुवाद को पड़ती हो, न जाने कब से, मैंने तुम्हारे मन में एक पीड़ा का अनुभव दिया है। और तुम्हें कभी भी अपने मन में इस शब्द से शांति अनुभव न हुआ! और फिर भी तुम कहती हो, “हर अनुवाद में ऐसा ही है”। वह मेरी प्रेरणा से नहीं (लिखा गया) है! वह शैतान का काम है।

यद्यपि उन्होंने एक मानव शरीर में जन्म लिया और क्रुश पर यातना सहा, वे कदापि, कदापि, कदापि, “मनुष्य” के पुत्र नहीं थे! वे याह के पुत्र हैं और उन्होंने यह नाम जग में घोषित किया!

तुम्हें क्या लगता है की क्यों शैतान ने अनुवाद में उनको एक मनुष्य का नाम देकर वश में करना चाहा? मुझे इस युग में इसकी अनुमति देनी पड़ी: महासंकट के आने से पहले, की “जीसस” के नाम का तब तक वर्चस्व रहे…

लेकिन महासंकट के समय, जिन्होंने उद्धार पाया है और मेरे समक्ष पवित्र जीवन जिए हैं—मेरी रूह उनके अंदर है—जैसे “येशु (Jesus)” के नाम में तुमने उद्धार पाया था, तुम उस समय भी उनके नाम को पुकारोगे [महासंकट के समय]। और मुझे गलत मत समझो। इस नाम में (Jesus) सामर्थ्य, स्वर्गीय अधिकार है [महासंकट से पहले तक], तुम्हारे पिता याहुवे के करुणा के कारण। लेकिन महासंकट में बहुत लोग अपनी जान से हाथ धोएंगे [उस नाम को पुकारने के कारण]—जबकि अभी उस नाम से उनका बचाव हो रहा है। बहुत सारे लोग उस समय सोचेंगे की क्यों उनकी प्रार्थनाएं सफल नहीं हो रही है। और वह इसलिए नहीं की हम उनसे प्यार नहीं करते। (और मैं उनकी बात नहीं कर रही जो रविवार वाले चर्चों में पशु के चिन्ह को धारण करने के लिए जाएंगे [प्रकाशित 13:16; 14:9])! मैं उनसे बोल रही हूँ जो “येशु अथवा जीसस” के नाम में विनती करेंगे, जिन्हें यह पता होगा की वे वही थे जो क्रुश पर चड़े और मर के भी तीन दिनों के बाद फिर जिंदा हो उठे। मैं उनका स्वर्ग में इंतज़ार करती हूँ! पर उनको समझना होगा, जबकि अभी [महासंकट से पहले] इस नाम में शक्ति है, उस समय इस नाम में कोई शक्ति नहीं रहेगी [महासंकट के दौरान]। उसका मतलब यह नहीं—जो मेरे सामने उस समय भी पवित्र चल रहे होंगे—वह स्वर्ग वापस नहीं जाएंगे, पर उसका मतलब है [महासंकट के दौरान] मैं उनके प्रार्थनाओं का जवाब नहीं दे सकूँगी। जैसे की मैंने बताया है वह मेरा अभिषेक है जो अब्बा याहुवे को चुंबन उड़ाना जैसा है, जिससे उनके प्रार्थनाओं का जवाब मिलता है!

पर उस दिन मैं उनके शब्दों को समर्थन नहीं दे पाऊँगी क्योंकि उस समय दूसरा होगा इस धरती पर जो कहेगा, “मैं जीसस (येशु) हूँ”। जबकि मुझे पता होगा की वे किस “जीसस” को आवाज दे रहे हैं, उनकी प्रार्थना स्वर्ग तक नहीं पहुँच पायेगी क्योंकि वह नाम श्राप की तरह होगा। और वे सोचेंगे क्यों ऐसा हो रहा है.. इसलिए तुम उन्हें अभी सावधान कर रही हो!

[महासंकट से पहले!]

यह उस यहूदी नाम का महत्व है!

असल में शैतान “याह” शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहता—ओ हाँ, मेरे बहुत सारे दुशमन हैं जो खुद का मिनिस्ट्री चलाते हैं और “याह” नाम का प्रयोग करते हैं, भेड़ियों और भेड़ों को ठगने के लिए। पर शैतान का पुत्र “याह” नाम का प्रयोग नहीं करना चाहता—वो वही नाम प्रयोग करना चाहता है जो दुनिया में प्रचलित है और वह जी-स-स का नाम था। इसलिए (हालाकी जिसका नाम मेमने के जीवन के पुस्तक में लिखा है वे महासंकट के समय भी स्वर्ग वापस जा पाएंगे) जो जिद्द करेंगे की उन्हें जी-स-स का नाम ही लेना है, अपने प्राणों से हाथ धो बैठेंगे। पर वे किसी भी हाल में रविवारी गिरजाघरों में नहीं जा सकते (महासंकट के समय) क्योंकि ऐसा करने पर उनके नामों को (मेमने के जीवन के पुस्तक से) मिटा दिया जाएगा।

और उस समय कोई (नई) उद्धार जी-स-स के नाम में नहीं होगा। वह केवल याहुशुआ के नाम में होगा। कुछ उन्हें “याहशुआ” भी कहेंगे (या कह सकते हैं) पर “याह” नाम का उच्चारण अनिवार्य हैं। क्योंकि वह अभिषेकित 144,000 जी-स-स के नाम से सीख नहीं देंगे।

इस समय ऐसा है पर उस समय बात भिन्न होगी। मैंने तुम्हें यह संदेश फिर सावधान करने के लिए दिया है। जैसे अभी है [महासंकट से पहले], जो लोग अभी संडे चर्च जाते हैं उसका मतलब यह नहीं की वे मेरे नहीं है और उनमें मेरी आत्मा की उपस्थिति नहीं। पर इसका मतलब यह है की महासंकट के समय ऐसा वर्जित होगा क्योंकि ऐसा करके वे अपनी आत्मा को पशु के हाथों बेच देंगे।

समझ गए?

महासंकट से पहले आत्माओं को जी-स-स के नाम में उद्धार मिलता है, मैं जी-स-स के नाम में अभिषेक करता हूँ, मैं जी-स-स के नाम में चंगाईं देता हूँ, मैं जी-स-स के नाम में छुटकारा देता हूँ। पर उस समय (महासंकट के समय) ऐसा नहीं होगा।

उन्हें सावधान करो। मैं तब उन्हें (प्रार्थनाओं का) कैसे जवाब दूंगा? मेरा पुत्र याहुशुआ उस समय कैसे जवाब देगा? जब वे चिल्लायेंगे “जीसस, मेरी सहायता करें!” और शैतान का पुत्र कहेगा, “मैं यहाँ हूँ!” वे गिड़गिड़ाएंगे “जीसस! मेरा उद्धार करें! मेरे पापों के लिए मुझे छमा करें!” और शैतान का पुत्र कहेगा, “मैं यहाँ हूँ!”

क्या तुम उस खतरे को नहीं भांप पा रहे हो? क्या तुम नहीं समझ पा रहे हो?

तुम्हें उसका अंदाजा नहीं जो दुख मैं महसूस करूंगा जब वे जिनका नाम मेमने के जीवन के पुस्तक में लिखा है—जिन्हें पता हैं की रविवारी चर्च में नहीं जाना है और न ही पशु का मोहर लेना है—यहाँ वहाँ भागेंगे और छुपेंगे, उन्हें अपने प्राणों को त्यागना पड़ेगा क्योंकि वे चिल्लायेंगे पर याहुशुआ के नाम को लेने से मना करेंगे। वे वही करेंगे जो उन्हें सिखाया गया था और ‘जीसस’ को पुकारेंगे और उनकी प्रार्थनाएं स्वर्ग तक नहीं पहुँच पायेगी क्योंकि मैं उसे एक चुंबन की तरह (पिता याहुवे की ओर) नहीं उड़ाऊँगी क्योंकि शैतान का पुत्र चिल्लाकर कहेगा, “मैं यहाँ हूँ”।

उसका अर्थ यह नहीं की उनका नाम मिटा दिया जाएगा; उसका अर्थ है की मैं उनकी जान की रक्षा नहीं कर पाऊँगी। मैं उन्हें नहीं छुपा सकूँगी। मैं उन्हें खिला नहीं पाऊँगी। मैं उन्हें छुड़ा नहीं पाऊँगी।

यही कारण है की मैं ऐसी सेवकाइयाँ खड़ी करती हूँ, जो याहुशुआ के नाम को सिखाते हैं—इससे फर्क नहीं पड़ता की तुम याहशुआ कहो या याहुशुआ। बहुत सारे लोग, मैंने जैसे तुम्हें बताया था (याहुशुआ) वैसे (उनके), नाम को लेने से मना करते हैं, पर (ध्यान रहे) “याह” नाम नहीं छूटना चाहिए। क्योंकि उनके नाम का मतलब भी “याह उद्धार करते हैं” है। मैंने तुम्हें वह सपना दिया जब उड़न तश्तरी (flying saucers) आएंगे। असल में वे शैतान के सिपाही हैं, पर उनको उनके ऊपर वर्चस्व होगा जो गलत नाम को पुकारेंगे क्योंकि वह [शैतान का पुत्र] कहेगा, “मैं यहाँ हूँ”।

सो सावधान! वह अब आरंभ हो चुका है। एक है जो खड़ा हुआ है। उसके दुनिया भर में अनुयायी हैं और वह खुद को “येशु क्रिस्ट” कहता है। पर बुनियादी बात यह है की वह हर पवित्रता को बाहर फेंक देता है। उससे सतर्क रहो जो आ रहा है! क्योंकि यह तो केवल एक मामूली इंसान है। पर सावधान रहो उससे जो आने वाला है! क्योंकि ऐसा होगा मानो यहूदा (विश्वासघाती) फिर वापस आया है। और वह सच में शैतान का पुत्र है, लुसिफ़र का पुत्र है।

उन्हें अब सावधान करो।

हर चीज के लिया एक समय और ऋतु होती है। तुम्हें पता होगा कब तुम्हें इस वचन को बाहर करना है। पर एलीशेबा, अब तुम्हें कभी भी माँ के प्यार के लिए तरसना नहीं पड़ेगा। क्योंकि मैंने तुम्हें दिखाया है, मैंने उस खालीपन को भर दिया है।

भविष्यवाणी समाप्त।

कुछ को ज्ञान के प्रकाश से भरते हुए पर कइयों को नाराज करते हुए,

प्रेरित एलीशेबा एलियाहू (Elisabeth Elijah)

[अंतिम टिप्पणियां जो audio में है]

[एलीशेबा]: मुझे बताना है जो रहस्य उन्होंने मुझे दिया है (उसके बारे में)—क्योंकि पुरुष लोग [जब वे बाइबल में रुआख हा कोडेश (पवित्र आत्मा) का जिक्र करते हैं] पुरुष लिंग में ही संभोधित करते हैं (पर यहाँ केवल एक अक्षर का फर्क है)। पुरुष लोग हमेशा कहते हैं, “हम परमेश्वर के छबि में बने हैं,” और औरतों को कहते हैं, “तुम उनके छबि में नहीं बने, मैं बना हूँ”।

इसलिए माँ रुआख ने अभी इस बात की पुष्टि की है की औरतें, स्त्रीयां—हवा उनके छबि में बनाई गई थी और वे याहुवे के बगल में बैठती हैं और सह-सृष्टिकरता हैं! सो हम असल में परमेश्वरी रुआख हा कोडेश, हमारी माँ के छबि में बने हैं। मर्दों इस बात को हजम करो! [एलीशेबा प्यार से मजाक में पुरुषों को बोल रही है।]

रिकार्डिंग का अंत।

स्वप्न: उड़न तस्तरी आ रहे हैं, तुम क्या करोगे?

मार्च 2005, भविष्यवाणी 89 में जिक्र है।

मैंने इससे पहले कभी भी अन्य ग्रहों से उड़न तशतरी ओर दुष्ट aliens के बारे में विश्वास नहीं किया था जब तक मैंने मार्च 2005 में वह स्वप्न नहीं देखा। इसके बाद मुझे इसके बारे में और भी ज्ञान मिला और सबसे बुरी बात यह है की वह असल में होते हैं।

[स्वप्न]

मैंने खुद को एक शहर में पाया। मैंने देखा की लोग UFOs के आतंक से यहाँ-वहाँ भाग रहे थे, विशेषकर एक सिगार के आकार वाला UFO से जिसके एक तरफ दो पंख (मछली के जैसे) थे। पुरुष और महिला चिल्ला रहे थे, “जीसस!” मेरी सहायता करें”। फिर मैंने सिगार के आकार वाले UFO को एक प्रकाश की तरंग (beam) को शूट करते देखा जो नीला/हरा रंग का था। यहाँ नीला/हरा रंग का प्रकाश जब लोगों पर लगता तो वह उन्हें ऊपर खीच कर अंतरिक्ष यान के अंदर ले लेता था।

लोग चिल्ला रहे थे, “येशु! मेरी मदद करो!” लेकिन फिर भी वह प्रकाश का तरंग उन्हें खिच कर UFO के अंदर ले जा रहा था। लोग उस UFO से तेज नहीं भाग पा रहे थे। उसके बाद वह सिगार के आकार वाला UFO मेरे ऊपर मंडराने लगा और मैं उससे दूर भागने की कोशिश करने लगि, पर नहीं भाग पायी। मैंने उस प्रकाश के तरंग को हवा में मेरे तरफ आते हुए देखा और मैं चिल्लाई जब वह एकदम मेरे ऊपर आ पहुंचा, “याहुशुआ साबित कीजिए की आप मेरी प्रार्थनाओं को सुनते हैं! मेरी रक्षा करें!” वह प्रकाश की तरंग बीच हवा में ही रुक गई और मेरे पास वाले इंसान के पास पहुँच गई जो “जीसस” चिल्ला रहा था और उसे प्रकाश की तरंग खिच के ले गया। वे पैर हिल्ला-हिल्लाकर विरोध कर रहा था और चीख रहा था पर उसे सिगार के आकर वाले UFO के पेट के अंदर खीच लिया गया।

[स्वप्न का अंत]

व्याख्या:

यह मिनिस्ट्री सावधान करता है की क्यों यह अनिवार्य है की लोग हमारे मसीहा याहुशुआ या याहशुआ के यहूदी नामों को जाने। येशु मसीह (येशु क्रिस्ट) के नाम में इस समय उद्धार, अभिषेक, चंगाई, छुटकारा, पूर्णजीवित करने की सामर्थ्य है, पर महासंकट के समय ऐसा न होगा!

मैं नहीं मानती की मैं महासंकट में इस नश्वर शरीर में इस संसार में रहूँगी। मैं वहाँ इसलिए थी (स्वप्न) ताकि अभी मैं आप को सावधान कर सकूँ। लेकिन यह स्वप्न एक चेतावनी है की याहुशुआ मसीह का शत्रु जो शैतान का पुत्र है, “जीसस क्राइस्ट” के नाम का उपयोग करेगा क्योंकि दुनिया के हर कोने में, अलग-अलग भाषाओं, “जीसस क्राइस्ट” के नाम को प्यार से लिया जाता है। मशहूर टीवी evangalists लोगों को blue beam rapture के लिए तैयार कर रहे हैं, जो की एक नकली rapture है।

रुआख हा कोडेश का पवित्र शास्त्र में उल्लेख और पवित्र आत्मा (रुआख हा कोडेश) स्त्रीलिंग या पुल्लिंग?

रुआख हा कोडेश का बाइबल में उल्लेख: [यशायाह 63:10; भजन संहिता 51:11]

स्त्रीलिंग—“SHE”—रुआख हा कोडेश—चोखमाह (बुद्धि) स्त्रीलिंग शब्द यहूदी में

नीतिवाचन 1:20—बुद्धि सड़क में ऊंचे स्वर से बोलती है, और चौकों में प्रचार करती है।

नीतिवाचन 1:21—वह बातें बोलती है।

नीतिवाचन 1:23—तुम मेरी डांट सुनकर मन फिराओ; निश्चय मैं अपनी आत्मा तुम पर उण्डेल दूँगी।

नीतिवाचन 3:18—जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष बनती है।

नीतिवाचन 4:6—बुद्धि को न छोड़, वह तेरी रक्षा करेगी। उससे प्रीति रख, वह तेरा पहरा देगी।

नीतिवाचन 4:13—बुद्धि को पकड़े रह...क्योंकि वही तेरा जीवन है।

नीतिवाचन 9:1—बुद्धि ने अपना घर बनाया, और उसके सातों खंबे गड़े हुए हैं।

प्रकाशित वाक्य 4:5—याह के सातों रूह (क्या वे (सातों रूह) और बुद्धि के 7 स्तम्भ एक ही हैं ?)

मत्ती 11:19—पर बुद्धि उनके बच्चों से सिद्ध होती हैं।

नीतिवाचन 7:4—बुद्धि से कह, “आप मेरी बहन हैं”।

(सब पवित्र शस्त्रों का उल्लेख NKJV से है।)

बुद्धि की पुस्तक—येरूसलेम बाइबल

बुद्धि की पुस्तक 1:6—बुद्धि एक रूह है, मानव की सखी, भले ही वह अपमान करने वालों के शब्दों को छमा नहीं करती, क्योंकि याह इंसान के गहराई तक देख सकते हैं…

बुद्धि की पुस्तक 7:11—उनकी संगति में सारी अच्छी चीजें मेरे पास आती है।

बुद्धि की पुस्तक 7:12—इन सब में मैं आनंद अनुभव करता हूँ, क्योंकि बुद्धि उन्हें मेरे पास लाती है, पर मुझे यह न पता था की वह इन सब की जननी हैं।

बुद्धि की पुस्तक 7:22–30—क्योंकि उनके अंदर एक मेधावी आत्मा है, पवित्र, अनोखा, विविध, सूक्ष्म, सक्रिय, भेदक, शुद्ध, स्पष्ट, अखंडनीय, उदार, तेज़, दयालु, मनुष्य से प्रेम करने वाली, स्थिर, भरोसेमंद, अविचलित (शांत), सर्वशक्तिमान, सब सर्वेक्षण करने वाली…

बुद्धि की पुस्तक 6:12–22— बुद्धि उज्ज्वल है और वह निस्तेज नहीं होती। जो उसे प्रेम करते हैं, उसे स्पष्ट देख पाते हैं और जो उसे ढूंढते हैं उन्हें वह मिलती है। वह तुरंत भांप लेती है की किसे उसकी चाह है और उनपर प्रकट होती है।

स्वर्गीय पिता या माता?

(New KJV बाइबल से उल्लेख।)

नीतिवाचन 1:8-9—हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न त्याग; क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिए शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिए कंठ माल होगी।

नीतिवाचन 6:20—हे मेरे पुत्र, मेरी आज्ञा को मान, और अपनी माता की शिक्षा को न त्याग।

नीतिवाचन 6:21—इन को अपने हृदय में सदा गांठ बांधे रख; और अपने गले का हर बना ले।

नीतिवाचन 6:22—वह तेरे चलने में तेरी अगुवाई, और सोते समय तेरी रक्षा, और जागते समय तुझ से बातें करेगी।

नीतिवाचन 6:23—आज्ञा तो दीपक है और शिक्षा (परमेश्वर के नियम) ज्योति।

(भजन संहिता 119 में एलोहिम (याहुवे) के निम्ति समान भाव प्रकट किया गया है।)

भजन संहिता 119:105—आपका वचन मेरे पाँव के लिए दीपक और मेरे मार्ग के लिए उजियाला है।

(ऊपर दिए गये वचनों से हम निष्कर्ष निकाल सकते है की दीपक और ज्योति दोनों ही हमारे पिता परमेश्वर और हमारे स्वर्गीय माँ, रुआख हा कोडेश, हमारे एलोहिम से आते हैं।)

हमारी माता कौन है?

गलातियों 4:26 पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हम सबकी माता है।

पवित्र आत्मा की प्रकृति – बाइबल के छंद

उत्पत्ति 1:2 पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अंधियारा था; तथा परमेश्वर की आत्मा जल के ऊपर मण्डरा रही थी।

उत्पत्ति 2:7 तब याहुवे परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का स्वास फूँक दिया और आदम जीवित प्राणी बन गया।

उत्पत्ति 6:3 तब याहुवे ने कहा, “मेरी आत्मा मनुष्य से सदा विवाद करती न रहेगी, क्योंकि मनुष्य एक शरीर ही है…”

गिनती 11:25 तब याहुवे परमेश्वर बादल में होकर उतरे और उन्होंने मूसा से बातें कीं, और जो आत्मा उसमें था उससे लेकर उन सत्तर पुरनियों में डाल दिया; और जब वह आत्मा उनमें आया तब वे भविष्यवाणी करने लगे; परंतु फिर और कभी ऐसा न किया।

1 शमूएल 16: 13-14 तब शमूएल ने अपना तेल का सिंग लेकर उसके भाइयों के मध्य में उसका अभिषेक किया; और उस दिन से लेकर भविष्य को याहुवे की आत्मा दाऊद पर बल से उतरती रही। पर परमेश्वर की आत्मा ने शऊल को त्याग दिया…

भजन संहिता 104:30 फिर आप अपनी ओर से अपनी आत्मा भेजते हैं, और वे सिरजे जाते हैं; और आप धरती को नया कर देते हैं।

यशायाह 40:13-14 किसने याहुवे के आत्मा को मार्ग बताया या उनका मंत्री होकर उनको ज्ञान सिखाया है? उन्होंने किससे सम्मति ली और किसने उन्हें समझकर न्याय का पथ बता दिया? किसने उन्हें ज्ञान सिखाकर बुद्धि का मार्ग जता दिया है?

यशायाह 42:1 मैं ने उस पर अपना आत्मा रख दिया है…

यशायाह 48:16 और अब प्रभु याहुवे ने और उनकी आत्मा ने मुझे भेज दिया है।

यशायाह 63:10 पर उन्होंने विद्रोह किया और उनके पवित्र आत्मा को खेदित किया; इस कारण वे पलटकर उनके शत्रु हो गए, और स्वयं उनसे लड़ने लगे।

यहेजकेल 36:27 मैं अपनी आत्मा तुम्हारे भीतर देकर ऐसा करूंगा की तुम मेरी विधियों पर चलोगे और मेरे नियमों को मानकर उनके अनुसार करोगे।

यहेजकेल 37:14 मैं तुम में अपनी आत्मा समाऊँगा, और तुम जिओगे; और तुम को तुम्हारे निज देश में बसाऊँगा…

योएल 2:28 उन बातों के बाद मैं सब प्राणियों पर अपना आत्मा उँड़ेलूँगा; तुम्हारे बेटे-बेटियाँ भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे बुड़े स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे।

जकर्याह 4:6 न तो बाल से, और न शक्ति से, परंतु मेरी आत्मा के द्वारा होगा, सेनाओं के याहुवे का यही वचन है।

मत्ती 3:16-17 और याहुशुआ बपतिस्मा लेकर तुरंत पानी में से ऊपर आए, और देखो, उनके लिए आकाश खुल गया, और उन्होंने परमेश्वर की आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई: “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ।”

लुका 1:35 और स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगी, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छा जाएगी।

यूहन्ना 3:5-6 याहुशुआ ने उत्तर दिया, “मैं तुझे से सच-सच कहता हूँ, जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे, वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता। क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है।

प्रेरितों 1:8 परंतु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगी तब तुम सामर्थ्य पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और समरीया में, और पृथ्वी के छोर तक मेरे गवाह होगे।

प्रेरितों 2:2-4 और एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहां वे बैठे थे, गूंज गया। और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं और उनमें से हर एक पर आ ठहरीं। और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य-अन्य भाषा बोलने लगे।

प्रेरितों 8:17 फिर उन्होंने उन पर हाथ रखे और उन्होंने पवित्र आत्मा पाया।

प्रेरितों 10:44, 47 पतरस ये बातें कह ही रहा था की पवित्र आत्मा वचन के सब सुननेवालों पर उतर आया… “क्या इनको कोई बपतिस्मा जल से मना कर सकता है, जिन्होंने हमारी तरह पवित्र आत्मा पाया है?”

प्रेरितों 16:6 वे फ्रूगिया और गलातीया प्रदेशों में से होकर गए, क्योंकि पवित्र आत्मा ने उन्हें एशिया में वचन सूनाने से मना किया।

रोमियों 8:9 परंतु जब कि परमेश्वर की आत्मा तुम में बसती है, तो तुम शारीरिक दश में नहीं परंतु आत्मिक दश में हो। यदि किसी में मसीह की आत्मा नहीं तो वह उनका नहीं है।

1 कुरिनथियों 12:4 वरदान तो कई प्रकार के हैं, परंतु आत्मा एक ही ह।

1 कुरिनथियों 12:7–11 किन्तु सब के लाभ पहुँचाने के लिए हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है। क्योंकि एक को आत्मा के द्वारा बुद्धि की बातें दी जाती हैं, और दूसरे को उसी आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें। किसी को उसी आत्मा से विश्वास, और किसी को उसी एक आत्मा से चंगा करने का वरदान दिया जाता है। फिर किसी को सामर्थ्य के काम करने की शक्ति, और किसी को भविष्यद्वाणी की, और किसी को आत्माओं की परख, और किसी को अनेक प्रकार की अन्य भाषाएँ, और किसी को भाषाओं का अर्थ बताना। परंतु ये सब प्रभावशाली कार्य वही एक आत्मा कराता है, और जिसे जो चाहता है वह बाँट देता है।

गलातियों 5:16–17, 22–23 पर मैं कहता हूँ, आत्मा के अनुसार चलो तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं, इसलिए की जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ…पर आत्मा का फल प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपया, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम है; ऐसे-ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं (अर्थात Torah में ऐसे कामों के विरोध में कुछ भी नहीं लिखा गया है)।

इफिसियों 5:18–19 दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ, और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गया करो, और अपने-अपने मन में प्रभु के सामने गाते और कीर्तन करते रहो।

इफिसियों 6:18 हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो, और इसीलिए जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिए लगातार विनती किया करो।

2 तिमुथियुस 1:7 क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ्य और प्रेम और संयम की आत्मा दी है।

इब्रानीयों 3:7–8 अतः जैसा पवित्र आत्मा कहता है, “यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मन को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय और परीक्षा के दिन जंगल में किया था।

इब्रानीयों 6:4–6 क्योंकि जिन्होंने एक बार ज्योति पाई है, और जो स्वर्गीय वरदान का स्वाद चख चुके हैं और पवित्र आत्मा के भागी हो गए हैं, और परमेश्वर के उत्तम वचन का और आनेवाले युग की सामर्थ्य का स्वाद चख चुके हैं, यदि वे भटक जाएं तो उन्हें मन फिराव से फिर नया बनाना असंभव है।

इब्रानीयों 10:15–17, 29 और पवित्र आत्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्योंकि उन्होंने (याहुवे ने) पहले ही कहा था, “प्रभु कहता है कि जो वाचा में उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा वह यह है कि मैं अपने नियमों को उनके हृदय पर लिखूँगा और मैं उनके विवेक में डालूँगा”; “मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा।” …तो सोच लो कि वह कितने और भी भरी दंड के योग्य ठहरेगा, जिसने परमेश्वर के पुत्र को पावों से रौंदा और वाचा के लहू को, जिसके द्वारा वह पवित्र ठहराया गया था, अपवित्र जाना, और अनुग्रह के आत्मा का अपमान किया?

प्रकाशित वाक्य 2:7, 11, 17, 29; 3:6, 13 जिसके कान हों वह सुन ले की आत्मा कलिसियाओं से क्या कहता है।

बुद्धि की प्रकृति (नीतिवचन की पुस्तक, NKV बाइबल)

1. याहुवे का दिया हुआ (2:6)।

2. वह पुकारती है, ऊंचे स्वर में बोलती है, सवाल करती है, फटकारती है, सावधान करती है, सलाह और ज्ञान देती है, और आपदाओं से बचाती है (1:20-33)।

3. वह परमेश्वर का विवेक, समझ और ज्ञान देती है, और न्याय और भलाई की समझ देती है (2:1–9)।

4. उनकी प्राप्ति सोने और चांदी के लाभ से ज्यादा मूल्यवान है (3:14)।

5. जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष बनती है (3:18)।

6. याहुवे ने पृथ्वी की नींव बुद्धि ही से डाली (3:19)।

7. बुद्धि श्रेष्ठ है; वह हमारा संरक्षण और देखभाल करती हैं, और उनकी हम बड़ाई करें तो वह हमारी उन्नति करेगी और हमें सम्मान प्रदान करेगी। वह हमारे सिर पर अनुग्रह का भूषण और महिमा की मुकुट रखेगी (4:7–9)।

8. वह चतुराई में वास करती है। वह उत्तम युक्ति और खरी बुद्धि है। वह समझ है और उनमें पराक्रम है। उनके ही द्वारा राजा राज्य करते हैं (8:12–15)।

9. जो उन्हें खोजते हैं, वे उन्हें पा जाते हैं (8:17)।

10. परमेश्वर याहुवे ने उन्हें सबसे पहले से ही उत्पन्न किया और वे एक निपुण कारीगर हैं; वे आनंदित होती है; उनका सुख मनुष्यों की संगति से होता था (8:22–31)।

11. जो उन्हें पाता है, वह जीवन को पाता है, और याहुवे उससे प्रसन्न होते हैं (8:35–36)।

बुद्धि की प्रकृति (बुद्धि की पुस्तक, येरूसलेम बाइबल)

बुद्धि 1:6 बुद्धि एक ऐसी आत्मा है जो मानवता के साथ दोस्ती का भाव रखती है, हालाकी वह एक अपमान करने वाले को सजा दिए बिना नहीं छोड़ती; क्योंकि परमेश्वर आत्मा की जांच करते हैं और हृदय आ सही आकलन लगते हैं, वे हर बात को सुनते हैं।

बुद्धि 6:12 बुद्धि शानदार है, वह कभी फीका नहीं होती। जो उन्हें प्रेम करते हैं, उन्हें स्पष्ट देख पाते हैं, और जो उन्हें ढूंढते हैं, उन्हें अवश्य मिलते हैं।

बुद्धि की पुस्तक, अध्याय 7

22 क्योंकि उनके अंदर एक मेधावी आत्मा है, पवित्र, अनोखा, विविध, सूक्ष्म, सक्रिय, भेदक, शुद्ध, स्पष्ट, अखंडनीय, उदार, चतुर,

23 जिसे रोका न जा सके, परोपकारी, मनुष्य से दोस्ती करने वाली, स्थिर, भरोसेमंद, अविचलित, सर्वशक्तिमान, सब सर्वेक्षण करने वाली, भेदक, सब-कुशाग्रता, शुद्ध सबसे सूक्ष्म आत्मा।

24 क्योंकि बुद्धि किसी भी गति से तेज है; वह इतनी शुद्ध है, वह हर जगह व्याप्त है और हर चीज को भेद सकती है।

25 वे परमेश्वर की परमशक्ति की सांस हैं, परमात्मा की महिमा की विशुद्ध अभिव्यक्ति हैं, इसलिए कोई भी दूषित चीज उन तक नहीं पहुँच पाती है।

26 क्योंकि वे अनंत ज्योति की प्रतीक हैं, वे परमेश्वर की क्रियाशील शक्ति की साफ प्रतिबिंब हैं, उनकी अच्छाई की छबि हैं।

27 भले ही वे अकेली हैं, वे सब कुछ कर सकती हैं; खुद स्थिर होकर भी वे संसार को नया करती हैं, पीड़ियों से पीड़ियों तक, और पवित्र आत्माओं में बस कर वे उन्हें परमेश्वर के दोस्त भविष्यवक्ता बनाती हैं; (यह जून 9, 2010 में शामिल किया गया)

सिराख/एकलेसियासटीकुस (Sirach/Ecclesiasticus): सिराख के पुत्र की बुद्धि

एकलेसियासटीकुस, सिराख के पुत्र की बुद्धि, “सबसे-पवित्र बुद्धि” की पुस्तक जो योसहूआ बेन सिरा ने लिखा है, जिसे सिराख की बुद्धि, अथवा बस सिराख भी कहते हैं। पुरातन हिब्रू यूनानी बाइबल में सिराख की पुस्तक भी शामिल थी। मन जाता है की वह ईशा पूर्व दूसरी शतब्दी में लिखा गया था। पुरातन यूनानी चर्च भी उसे “सबसे-पवित्र बुद्धि” कहते थे। हिब्रू/यहूदी में इस पुस्तक को बेन सिराख की पुस्तक, बेन सिराख के नीतिवचन, यह बेन सिराख की की बुद्धि कहा जाता था। एकलेसियासटीकुस एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब है “चर्च के लिए,” जो किसी भी चर्च में पड़ें जाने वाले पुस्तक के लिए कहा जा सकता था। बेन सिरा, जिसका मतलब यहूदी में “सिराख का पुत्र” है, एक विद्वान और लेखक था जिसे यहूदी नियमों के बारे में पूर्ण ज्ञान था, विशेषकर “बुद्धि की पुस्तक” के बारे में।

सिराख (नया येरूसलेम बाइबल)

सिराख, अध्याय 1 (आगे वाले छंद 1, 4-20)

आगे: सारे नियम, सारे भविष्यवक्ता, और उसने पहले आने वाले लेखकों ने हमारे लिए बड़ी सिख छोड़ी है, जिसके परिणाम से इस्राइल को बुद्धि के बारे में ज्ञान अर्जित करने के लिए सराहा जाना चाहिए…

1 सब बुद्धि परमेश्वर याहुवे से आते हैं, वे हमेशा उनके साथ थीं।

4 बुद्धि का निर्माण सबसे पहले हुआ था, प्रत्यक्ष समझदारी युगों-युगों से निरंतर चल रहा है…

5 सबसे महान परमेश्वर का वचन ही बुद्धि का फव्वारा है, और उसके मार्ग में चलना अनंत आज्ञाओं पर चलना है।

6 अभी तक किसे बुद्धि के जड़ का दर्शन हुआ है? उनके कुशल उपायों को किसने समझा है?

7 बुद्धि के शिष्यों को कौन जानता है? और किसने उसके अनगिनत उपायों को समझा है?

8 केवल एक बुद्धिमान है, वास्तव में भयंकर, जो सिंहासन में विराजमान है, हमारे परमेश्वर जो सनातन हैं।

9 उन्होंने उसे पवित्र आत्मा से रचा, देखा, जांच किया और तौला।

10 फिर उन्होंने उसे अपने सारे कामों में उंडेल दिया…

11 याहुवे का भय ही महिमा, गौरव, खुशी, और आनंद का मुकुट है।

12 याहुवे का भय हमारे दिल को प्रसन्न करता है, हमें खुशी, आनंद, और लंबी आयु देता है।

13 जो परमेश्वर याहुवे से डरते हैं, उनके साथ सब अच्छा होगा: प्राण त्यागते समय [भी] वे आशीष पाएंगे।

14 गौरवमय बुद्धि ही परमेश्वर का प्रेम है।

15 जिन्हें वह अपना दर्शन देती है, वे उनके दर्शन से और उनके महान कामों के ज्ञान से उन्हें प्रेम करते हैं।

16 याहुवे का भय ही बुद्धि की शुरुआत है, जो विश्वासियों के कोख में होते हुए ही निर्मित होती है…

17 याहुवे का भय ज्ञान की धार्मिकता है।

18 धार्मिकता हृदय की रक्षा और न्याय करती है, प्रसन्नता और आनंद देती है।

19 जो याहुवे का भय मानता है, उसके साथ हमेशा सही होता है, और उसके अंतिम समय में उसे आशीष मिलता है।

20 परमेश्वर का भय ही बुद्धि की भरपुरी है, और उस भरपुरी से ही फल मिलता है।

सिराख, अध्याय 4 (11–19)

11 और तुम सबसे महान के आज्ञाकारी पुत्र समान होगे, और वे तुमपर एक माँ से अधिक दया दिखाएंगे।

12 बुद्धि अपने बच्चों को जीवन से प्रेरित करती है, और उनकी रक्षा करती है जो उनको ढूंढते हैं, और उनके आगे चलकर न्याय का मार्ग प्रशस्त करती है।

13 और जो उन्हें प्रेम करते हैं, जीवन से प्रेम करते हैं; और जो उनकी राह देखते हैं, उनके मिठास को गले लगाते हैं।

14 जो उन्हें कसकर पकड़े रखते हैं, उन्हें जीवन विरासत में मिलेगी; और वह (बुद्धि) जिसके अंदर प्रवेश करेगी, उन्हें परमेश्वर आशीषित करेंगे।

15 जो उनकी सेवा करते हैं, सबसे पवित्र प्रभु की सेवा करते हैं, और परमेश्वर उनसे प्रेम करते हैं जो [बुद्धि] से प्रेम करते हैं।

16 जो [बुद्धि की] सुनते हैं, देशों पर न्याय करेंगे, और जो उनकी ओर देखते रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे।

17 अगर कोई उनपर भरोसा करेगा, तो उन्हें विरासत में पाएगा, और उसकी पीड़ी चिंता मुक्त रहेगी।

18 क्योंकि [बुद्धि] उसके साथ परीक्षा में चलेगी और उस सबसे पहले चुनेगी।

19 [बुद्धि] उसे भय, आतंक, और परीक्षा से अवगत कराएगी, और उसे दंड देकर अनुशासित करेगी, जब तक वे अपने नियमों से उस पर परीक्षण न करें, और उसके आत्मा पर भरोसा न करें।

सिराख, अध्याय 24

1 बुद्धि खुद की बड़ाई करती है,

2 अपने लोगों के बीच वे खुद को महीमित करती है।

3 वे अपने मुंह को सबसे महान के सभा में खोलेगी, और महा शक्तिमान के उपस्थिति में खुद को महीमित करेगी:

4 “मैं सबसे महान [प्रभु] के मुख से प्रकट हुई, और मैंने पृथ्वी को धुंध जैसे ढक दिया।

5 मेरी तंबू ऊचाईयों में थी, और मेरी सिंहासन बादल का स्तंभ था।

6 केवल मैंने स्वर्गलोक का चक्कर किया है और विशाल गहराइयों पर चला है।

7 समुद्र के लहरों के ऊपर और सम्पूर्ण पृथ्वी के ऊपर, हर एक मनुष्य और देश पर मेरा शासन है।

8 इन सभों में मैंने विश्राम ढूंढा और देखा के किसके छेत्र मैं अपनी छावनी डालूँ।

9 फिर सब सृष्टि को रचनेवाले ने मुझे आदेश दिया और जिसने मुझे रचा मेरे तंबू के लिए स्थान निश्चय किया। उन्होंने कहा, “अपने तंबू को याकूब के स्थान पर गाड़ और इस्राइल को अपना विरासत बना”।

10 अनंत में, सबसे पहले, उन्होंने मुझे रचा, और अनंत काल तक मैं रहूँगी।

11 पवित्र तंबू मैं उनके सम्मुख मैंने धर्म कार्य किया और इसलिए सिऑन में स्थापित हुआ।

12 उस प्रिय शहर में उन्होंने मुझे विश्राम दिया, और येरूसलेम में मैं अपना शासन चलाती हूँ।

13 मैंने अपना जड़ विशेष लोगों में लिया है, जो परमेश्वर याहुवे की संपत्ति हैं, जो उनकी विरासत है।

14 मैं लेबनॉन में देवदार की तरह और हेरमों पर्वत में सरो की तरह ऊंची खड़ी हूँ;

15 मैं एन-गेड़ी में ताड़ के पेड़ की तरह और जेरीको में गुलाब के झाड़ियों की तरह ऊंची खड़ी हूँ; मैं मैदानों में उत्तम जैतून, एक चिनार के जैसे, ऊंची खड़ी हूँ।

16 मैं दालचीनी और अकेंथस के जैसे सुगंध बिखेरती हूँ, विशेष लोहबान, बिरोजा, ओनिका, लबदनुम, और तंबू में धूप के धुएं की तरह सुगंधित सांस निकालती हूँ।

17 मैंने तारपीन के पेड़ की तरह अपनी डालियों को फैलाया है, और मेरी डालियाँ श्रेष्ठ और सुडौल हैं।

18 मैं दाख लता के जैसी हूँ जो अपने सुंदर टहनियों को निकलती है, और मेरे फूल महिमा धन के फल देते हैं।

19 [खोया हुआ छंद]

20 जिसको मेरी चाह है, आगे आओ और मेरे फलों को भरपूरी से चखो,

21 क्योंकि मेरा स्मरण शहद से मीठा है, मुझे पाना शहद के छत्ते को पाने से ज्यादा मीठा है।

22 जो मुझे खाते हैं उनकी भूख और बड़ेगी, जो मुझे पियेंगे उनकी प्यास और बड़ेगी।

23 जो मेरी आज्ञा को मानता है उसे कभी शर्मिंदा न होना पड़ेगा; जो मेरे कहे हुए बातों को करता है, वह कभी पाप में न गिरेगा।

24 यही सब सबसे महान खुदा के वाचा की पुस्तक में लिखा है, वही नियम जो हमें मूसा ने बताया, जो याकूब के घराने को विरासत में मिला है।

25 [खोया हुआ छंद]

26 यही है जिसके कारण बुद्धि पिसोन नदी की तरह उमड़ती है, फल के मौसम में टिग्रिस नदी की तरह,

27 क्या कारण है की बुद्धिमत्ता फ़रात नदी (Euphrates) की तरह उमड़ती है, और फसल कटाई के समय जॉर्डन नदी के जैसे जलमग्न होती है;

28 और जो अनुशासन को नील नदी के जैसे बहाती है, और गीहोन को जब अंगूर तोड़ने का समय होता है।

29 न तो पहला इंसान उनके बारे में पूरी तरह से जान पाया, न तो सबसे हाल का इंसान उन्हें ढूंढ पाया है;

30 क्योंकि उनकी सोच सागर से चौड़ी, और उनकी रचना पाताल से भी गहरी है।

31 और मैं एक नदी की धारा और एक बगीचा के अंदर बहते पानी के [जैसी हूँ],

32 मैंने कहा, “मैं अपने बगीचे को जल दूँगी, मैं अपने फूलों को सींचना चाहती हूँ”। और देखो मेरी धारा एक नदी बन गई है, और मेरी नदी एक सागर बन गई है।

33 मैं अनुशासन को सूर्योदय से चमकाऊँगी, मैं उसके प्रकाश को दूर-दूर तक भेजूँगी।

34 मैं ज्ञान को भविष्यवाणी की तरह उड़ेलूँगा, आने वाले पीड़ियों के विरासत में [यह] मिलेगी।

35 और याद रहे मैं केवल अपने लिए नहीं, पर उन सब के लिए जो बुद्धि को ढूंढते हैं, काम कर रही हूँ।

सिराख, अध्याय 51 (छंद 13–30)

13 जब मैं अपनी जवानी में था, इससे पहले की मैं सफर में गया, मैंने अपने प्रार्थनाओं में स्पष्ट रूप से बुद्धि मांगी थी।

14 शरणस्थान के बाहर मैं उनके लिए प्रार्थना करता हूँ, और मेरे अंतिम दिनों तक उनको ढूंढता रहूँगा।

15 उनके खिलने से लेकर उनके अंगूर के पकने तक मेरे हृदय ने उनसे प्रसन्नता पायी है। मेरे पैर सीधे मार्ग पर चलें हैं, मेरे जवानी से ही मैंने उनकी प्रार्थना की है।

16 अपने कानों को थोड़ी झूकाकर मैंने उनको पाया है, और मुझे ढेरों ज्ञान मिला है।

17 उनके मदद से मैं आगे बड़ा हूँ; उनकी महिमा हो जिन्होंने मुझे बुद्धि दी है!

18 क्योंकि मैंने दृढ़ता से उनका अभ्यास किया, मैंने ईमानदारी से उनके अच्छाई को अपनाया, और मैं लज्जित नहीं होऊँगा।

19 मेरी आत्मा उनको पाने के लिए लड़ा है, मैंने पूरी निष्ठा से नियमों का पालन किया है; मैं स्वर्ग की ओर अपने हाथों को उठाकर दुख प्रकट किया की मैं कितना काम जनता हाँ उनके बारे में,

20 मैंने अपनी आत्मा को उनकी ओर ध्यान लगाया है और पवित्रता में मैंने उनको पाया; मैंने अपने हृदय को पहले से ही उनके ऊपर लगाया है, वह मुझे कभी नहीं त्यागेगी;

21 मेरी अंतरात्मा उनको पाने के लिए तरसती थी; अब मैंने एक अनमोल वस्तु पायी है।

22 इनाम में प्रभु ने मुझे जबान दिया है जिससे मैं उनकी स्तुति कर सकूँ।

23 मेरे पास आओ मूर्खों, मेरी पाठशाला में पड़ों।

24 क्यों इन वस्तुओं के न होने पर शिकायत करते हो जब तुम्हारी आत्मा इन सब बातों के लिए प्यासी है।

25 मैंने अपना मुंह खोला है, मैंने कहा है: “उन्हें बिना पैसों के खरीदो,

26 अपने गर्दन को उनके जुए के नीचे रखो, तुम्हारी आत्मा को सूझबूझ पाने दो, वह तुम्हारे आसपास ही है”।

27 खुद ही देखो मेरे प्रयास कितने हल्के है शांति को पाने के लिए।

28 सूझबूझ को बहुत सारे चांदीयों से खरीदो, उनके कारण तुम बहुत सारा सोना पाओगे।

29 तुम्हारी आत्मा प्रभु के करुणा में आनंद पाए; तुम कभी भी उनकी जयजयकार करने में शर्म न महसूस करो।

30 निर्धारित समय से पहले अपना काम पूरा करो और निर्धारित समय में वे तुम्हें तुम्हारा इनाम देंगे।



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